ख़ून से सींचता है बग़ीचे को जो,
मेरी नज़रों में वो बाग़बां आप हैं !
हम सभी छात्र तो हैं ज़मीं की तरह,
हमपे छाए हुए आसमां आप हैं,…..!!!
जाति की डोर ना बांध पाई कभी,
आप हिन्दू रहे ना मुसलमां रहे !
इक तरफ़ होठ पर श्लोक गीता के तो,
दूसरी ओर होठों पे कलमा रहे !!
नफ़रतों से झुलसते हुए देश में,
देखिए एकता के निशां आप हैं….!!!
मेरी नज़रों में वो बाग़बां आप हैं …..!!!
हम सभी से अगर कोई ग़लती हुई,
आपने हमको मौक़ा दोबारा दिया !
पांव जो लड़खड़ाए कभी राह में,
आपने हमको बढ़ के सहारा दिया !!
दिल में ममता के सागर छुपाए हुए,
मेरी नज़रों में तो एक मां आप हैं……!!
मेरी नज़रों में वो बाग़बां आप हैं…..!!!
आप थोड़ा सा गर चेत जाएंगे तो,
देश का पूरा नक़्शा बदल जाएगा !
देश का जो युवा गर्त में जा रहा,
उसका बहका भी क़दम सम्भल जाएगा !!
आपके साथ में नौजवां देश का,
सच में तनहा नहीं कारवां आप हैं....!!
मेरी नज़रों में वो बाग़बां आप हैं….!!!
Mashaallah
ReplyDeleteBhut khoob Bhai
ReplyDeleteMasha Allah