Saturday, 7 September 2013

ख़ून से सींचता है बग़ीचे को जो,

ख़ून से सींचता है बग़ीचे को जो,
मेरी नज़रों में वो बाग़बां आप हैं !
हम सभी छात्र तो हैं ज़मीं की तरह,
हमपे छाए हुए आसमां आप हैं,

6 comments:

  1. माशाल्ला इमरान भाई बहुत खूब

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  2. बहुत ही उम्दा है यह शेर जो कि हमें अपने गुरुजन को आदर्श बताता है....👌

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